क्या उसको कभी मेरी अब याद नहीं आती। क्या उसको कभी मेरी अब याद नहीं आती।
कौन रक्खे प्यार अपने के लिए ! लड़ रहे है लोग पैसे के लिए ! कौन रक्खे प्यार अपने के लिए ! लड़ रहे है लोग पैसे के लिए !
रही अडिग सत्य पथ पर तो निश्चय ही स्वयंसिद्धा कहलाओगी। रही अडिग सत्य पथ पर तो निश्चय ही स्वयंसिद्धा कहलाओगी।
समय मुट्ठी की रेत सा फिसलता जा रहा है , हर लम्हा यूँ ही गुजरता जा रहा है, समय मुट्ठी की रेत सा फिसलता जा रहा है , हर लम्हा यूँ ही गुजरता जा रहा है,
पांच वर्षों तक शक्ल नहीं दिखाते ये नेता फिर से घूम रहे गली गली पांच वर्षों तक शक्ल नहीं दिखाते ये नेता फिर से घूम रहे गली गली
माँ की कोख से नन्ही सी कली की आई पुकार मैं हूं तेरा अंश,माँ मुझे मत मार। लेकर फैसला माँ की कोख से नन्ही सी कली की आई पुकार मैं हूं तेरा अंश,माँ मुझे मत मार। ...